पुणे- निर्माते , कलाकार यांना फसवून ,दिशाभूल करून , बेकायदा छळून, तुम्ही आमचे सभासद असलेच पाहिजे असे सांगून त्यांच्याकडून वसुली करणाऱ्या काही संघटना आणि संस्था,महामंडळे,परिषदा यांचा वर्चस्ववाद ,लॉबिंग बिनदिक्कत सुरु असून सरकार याकडे सर्रास डोळेझाक करीत त्यांना पाठीशी घालीत आलेली आहे हे वास्तव आहे.प्रसंगी अनेक राजकीय पक्ष अशा लोकांना आपल्या पक्षातील सांस्कृतिक विभागात समाविष्ट करवून घेऊन ताकद देण्याचा प्रयत्न करतात अशी चर्चा हि वारंवार होत आली आहे. . या सर्व पार्श्वभूमीवर सलाम पुणे पुरस्कार विजेते प्रसिद्ध सिने दिग्दर्शक राजू पार्सेकर यांनी आता या महत्वाच्या विषयाला हात घातला आहे.त्यांनी या प्रकरणी ‘माय मराठी’ ला हिंदी भाषेत पत्र पाठविले आहे ते आम्ही जसेच्या तसे इथे प्रसिद्ध करीत आहोत .
फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में फैला हुआ खौफ:
भारतीय संविधान का आर्टिकल ४१ राइट टु वर्क…हर भारतीय नागरिक को ये हक देता है कि वो भारत में किसी भी जगह बिना किसी रोक ठोक के काम कर सकता है.. अगर कोई भी इंसान या संस्था किसी भारतीय व्यक्ति को काम करने से रोकता है तो ये कानूनन अपराध है .. जो व्यक्ति या कोई भी संस्था या ग्रुप किसी को काम करने से रोकता है तो उसपर कानूनन करवाई का प्रावधान है..
फिल्म एंड टेलीविजन इंडस्ट्री मै शूटिंग के वक़्त ऐसे बहुत से लोग आते है और जो काम करने वाले के कार्ड चेक करते है ..
उनको किसने ये अधिकार दिया है के काम करने वाले व्यक्ति का कार्ड चेक करे या उसे काम करने से रोके ?
आजकल ये आम हो गया है के किसी भी शूटिंग कुछ लोग पहुंच जाते है .कार्ड चेक करने की डिमांड करते है..प्रोड्यूसर मजबूर होता है , उसे शूटिंग करनी होती है तो वो जो भी लोगआते है उनकी मांग पूरी करके शूटिंग में बाधा ना आए इसलिए बिना बहस किए उनका समाधान करने की कोशिश करते है..
किसी को ये कानूनन अधिकार नहीं है के जाकर किसी का काम रोके ये कार्ड दिखाने की मांग करे..
इस परेशानी की वजह से मुंबई में आजकल जो भी प्रोडक्शन्स शूटिंग कर रही हैं वो मजबूरी से कर रहीं है..ये मुंबई फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री के लिए घातक हो सकता है, इसे रोकना बहुत जरूरी है.. मुंबई और महाराष्ट्र के बाहर सभी राज्य फिल्म शूटिंग के लिए सब्सिडी दे रहे है, जो बनेगी वो सुविधाएं मुहैया करा रहे है.. और इस मुंबई जो फिल्म क्षेत्र की जन्मभूमि है यहां इस परेशानी से निर्माता परेशान है..
इस बारे में सभी को सोचना बहुत जरूरी है..
अगर कोई आकर शूटिंग रोकने की कोशिश करता है तो उसका विरोध करो.
हम सबको जो भारतीय संविधान जो हक दिए है उसका इस्तेमाल कीजिए.. हाई कोर्ट ने भी ये कहां है के अगर dispute ho तो प्रोड्यूसर को लेटर दे सकते हो मगर शूटिंग रोकना या सेट पर जाकर शूटिंग रोकने की धमकी देना, यूनिट सदस्यों के कार्ड्स चेक करना ये नहीं कर सकते है..
तुरंत पुलिस को बुलाकर शिकायत दर्ज कीजिए..
भारतीय संविधान से बढ़कर यहापर कोई नहीं है। जबरदस्ती से अगर कोई कुछ भी तुच्छ सा कारण देकर आपकी कोई शूटिंग रोकता है तो भारतीय संविधान का आर्टिकल ४१ उन्हें पढ़ाइए..और अगर मानते ही नहीं और शूटिंग रोकने की धमकी देते है तो १०० डायल करके पुलिस को बुला लीजिए.. आपकी शूटिंग किसी भी कारण रोकने का किसी को अधिकार नहीं है.. एफआईआर रजिस्टर करवाइए..
राजू पारसेकर – निर्देशक