ये लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा मेरा गम कब तलक, मेरा दिल तोड़ेगा किसी का भी लिया नाम तो आयी याद तू ही तू ये तो प्याला शराब का बन गया ये लहू पीने की कसम डाल दी पिऊंगा किस तरह ये ना सोचा तू ने यार मैं जिऊंगा किस तरह चला जाऊ कही छोड़ कर मैं तेरा ये शहर ना तो यहाँ अमृत मिले पीने को ना जहर