दिल्लीतील मद्य धोरणात घोटाळे झाल्याच्या बातम्यांवरून ज्येष्ठ सामाजिक कार्यकर्ते अण्णा हजारे यांनी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यांना पत्र लिहिले आहे. या पत्रात अण्णा हजारे यांनी मद्य धोरणावरून केजरीवाल यांना चांगलेच फटकारले आहे. अण्णा हजारे म्हणाले की, तुमच्या सरकारने महिलांवर परिणाम करणारे मद्य धोरण केले, लोकांचे जीवन उद्ध्वस्त केले. तुमच्या बोलण्यात आणि वागण्यात फरक आहे.
अण्णांनी लिहिलेले पत्र जसेच्या तसे वाचा ….
जा.नं. जन-06/2022-23 दिनांक- 30/8/2022
प्रति,
श्री अरविंदजी केजरीवाल,
मुख्यमंत्री, दिल्ली.
विषय- दिल्ली राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई शराब नीति के बारें में…
आप मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको खत लिख रहा हूँ। पिछले कई दिनों से दिल्ली राज्य सरकार की शराब नीति के बारें में जो खबरे आ रही हैं, वह पढ़कर बड़ा दुख होता हैं। गांधीजी के ‘गाँव की ओर चलो…’ इस विचारों से प्रेरित हो कर मैने अपना पुरा जीवन गाँव, समाज और देश के लिए समर्पित किया हैं। पिछले 47 सालों से ग्राम विकास के लिए काम और भ्रष्टाचार के विरोध में जन आंदोलन कर रहां हूँ।
महाराष्ट्र में 35 जिलो में 252 तहसिल में संगठन बनाया। भ्रष्टाचार के विरोध में तथा व्यवस्था परिवर्तन के लिए लगातार आंदोलन किए। इस कारण महाराष्ट्र में 10 कानून बन गए। शुरू में हमने गाँव में चलनेवाली 35 शराब की भट्टियां बंद की। आप लोकपाल आंदोलन के कारण हमारे साथ जुड़ गए। तब से आप और मनिष सिसोदिया कई बार रालेगणसिद्धी गाँव में आ चुके हैं। गाँववालों ने किया हुआ काम आपने देखा हैं। पिछले 35 साल से गाँव में शराब, बिडी, सिगारेट बिक्री के लिए नहीं हैं। यह देखकर आप प्रेरित हुए थे। आप ने इस बात की प्रशंसा भी की थी।
राजनीति में जाने से पहले आपने ‘स्वराज’ नाम से एक किताब लिखी थी। इस किताब की प्रस्तावना आपनेस मुझसे लिखवाई थी। इस ‘स्वराज’ नाम की किताब में आपने ग्रामसभा, शराब नीति के बारें में बड़ी बड़ी बाते लिखी थी। किताब में आपने जो लिखा हैं, वह आप को याद दिलाने के लिए निचे दे रहां हूँ…
‘गाँवो में शराब की लतः
समस्याः वर्तमान समय में शराब की दुकानों के लिए राजनेताओं की सिफारिश पर अधिकारियों द्वारा लाइसेंस दे दिया जाता हैं। वे प्रायः रिश्वत ले कर लाइसेंस देते हैं। शराब की दुकानों की कारण भारी समस्याएं पैदा होती हैं। लोगों का पारिवारिक जीवन तबाह हो जाता हैं। विडम्बना यह हैं की, जो लोग इससे सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं, उन्हे इस बात के लिए कोई नहीं पुछता कि, क्या शराब की दुकान खुलनी चाहिए या नहीं? इन दुकानों को उनके उपर थोप दिया जाता हैं।
सुझावः शराब की दुकान खोलने का कोई लाइसेंस तभी दिया जाना चाहिए जब ग्राम सभा इसकी मंजुरी दे दे और ग्राम सभा की सम्बन्धित बैठक में. वहाँ उपस्थित 90 प्रतिशत महिलाएं इसके पक्ष में मतदान करें। ग्राम सभा में उपस्थित महिलाएं साधारण बहुमत से मौजुदा शराब की दुकानों का लाइसेंस भी रद्द करा सकें।’ (‘स्वराज- अरविंद केजरीवाल’ इस किताब से…)
आपने ‘स्वराज’ नाम की इस किताब में कितनी आदर्श बातें लिखी थी। तब आप से बड़ी उम्मीद थी। लेकिन राजनीति में जा कर मुख्यमंत्री बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा को भूल गए हैं ऐसा लगता हैं। इसलिए दिल्ली राज्य में आपकी सरकारने नई शराब नीति बनाई। ऐसा लगता हैं की, जिससे शराब की बिक्री और शराब पिने को बढ़ावा मिल सकता हैं। गली गली में शराब की दुकानें खुलवाई जा सकती हैं। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता हैं। यह बात जनता
के हित में नहीं हैं। फिर भी आपने ऐसी शराब नीति लाने का निर्णय लिया हैं। इससे ऐसा लगता हैं कि, जिस प्रकार शराब की नशा होती हैं, उस प्रकार सत्ता की भी नशा होती हैं। आप भी ऐसी सत्ता की नशा में डुब गये हो, ऐसा लग रहा हैं।
10 साल पहले 18 सितंबर 2012 को दिल्ली में टिम अन्ना के सभी सदस्यों की मिटिंग हुई थी। उस वक्त आप ने राजनीतिक रास्ता अपनाने की बात रखी थी। लेकिन आप भूल गए की, राजनीतिक पार्टी बनाना यह हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था। उस वक्त टिम अन्ना के बारे में जनता के मन में विश्वास पैदा हुआ था। इसलिए उस वक्त मेरी सोच थी की, टिम अन्ना ने देशभर घुमकर लोकशिक्षण लोकजागृति का काम करना जरुरी था। अगर इस प्रकार लोकशिक्षण लोकजागृति का काम होता तो देश में कही पर भी शराब की ऐसी गलत नीति नहीं बनती। सरकार कौनसी भी पार्टी की हो, सरकार को जनहित में काम करने पर मजबूर करने के लिए समान विचारधारावाले लोगोंका एक प्रेशर ग्रुप होना जरुरी था। अगर ऐसा होता तो आज देश की स्थिती अलग होती और गरीब लोगों को लाभ मिलता। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। उसके बाद आप, मनिष सिसोदिया और आपके अन्य साथियों ने मिलकर पार्टी बनाई और राजनीति में कदम रखा। दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को देखकर अब पता चल रहा हैं कि, एक ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर के जो पार्टी बन गयी, वह भी बाकी पार्टींयों के रास्ते पर ही चलने लगी। यह बहुत ही दुख की बात हैं।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए ऐतिहासिक लोकपाल और लोकायुक्त आंदोलन हुआ। लाखों की संख्या में लोग रास्तेपर उतर आये। उस वक्त केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की जरुरत के बारें में आप मंच से बड़े बड़े भाषण देते थे। आदर्श राजनीति और आदर्श व्यवस्था के बारें में अपने विचार रखते थे। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद आप लोकपाल और लोकायुक्त कानून को भुल गए। इतनाही नहीं, दिल्ली विधानसभा में आपने एक सशक्त लोकायुक्त कानून बनाने की कोशिश तक नहीं की। और अब तो आप की सरकारने लोगों का जीवन बरबाद करनेवाली, महिलाओं को प्रभावित करनेवाली शराब नीति बनाई हैं। इससे स्पष्ट होता हैं की, आपकी कथनी और करनी में फर्क हैं।
मैं यह पत्र इसलिए लिख रहा हूँ की, हमने पहले रालेगणसिद्धी गाँव में शराब को बंद किया। फिर कई बार महाराष्ट्र में एक अच्छी शराब की नीति बने इसलिए आंदोलन किए। आंदोलन के कारण शराब बंदी का कानून बन गया। जिसमें किसी गाँव तथा शहर में अगर 51 प्रतिशत महिलाएं शराब बंदी के पक्ष में वोटिंग करती हैं, तो वहाँ शराब बंदी हो जाती हैं। दुसरा ग्रामरक्षक दल का कानून बन गया। जिसके माध्यम से महिलाओं की मदद में हर गाँव में युवाओं का एक दल गाँव में अवैध शराब के विरोध में कानूनी अधिकार के साथ कार्रवाई कर सकता हैं। इस कानून के तहत अंमल न करनेवाले पुलिस अधिकारी तथा एक्साइज अधिकारी पर भी कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया हैं। दिल्ली सरकार द्वारा भी इस प्रकार के नीति की उम्मीद थी। लेकिन आप ने ऐसा नहीं किया। लोग भी बाकी पार्टिंयों की तरह पैसा से सत्ता और सत्ता से पैसा इस दुष्टचक्र में फसें हुए दिखाई दे रहें हैं। एक बड़े आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी को यह बात शोभा नहीं देती।
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे